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Crime News: खूंखार छेनू गैंग के दो गुर्गे गिरफ्तार, पुलिस ने किया बड़ा खुलासा

Shantanu Roy
11 Jun 2024 2:36 PM GMT
Crime News: खूंखार छेनू गैंग के दो गुर्गे गिरफ्तार, पुलिस ने किया बड़ा खुलासा
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New Delhi. नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने खूंखार 'छेनू गैंग' के दो गुर्गों को उत्तरी दिल्ली के कश्मीरी गेट इलाके से गिरफ्तार किया है. दोनों के उपर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. आरोपियों की पहचान हाजी इमरान (41) और अब्दुल रहमान (38) के रूप में हुई है. पुलिस ने दोनों से पूछताछ कर रही है. पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) राकेश पावरिया ने बताया कि 'छेनू गैंग' के दो गुर्गे एक कार में यात्रा कर रहे थे. इसकी सूचना पहले से मिलने के बाद पुलिस अधिकारियों की एक टीम ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया. पुलिस को देखते ही दोनों कार से उतरकर भागने लगे, लेकिन वे असफल रहे.

डीसीपी ने बताया कि उनके पास से तीन कारतूसों से भरी एक अर्ध-स्वचालित पिस्तौल और एक कारतूस जब्त की गई है. पुलिस द्वारा पूछताछ में हाजी इमरान ने खुलासा किया है कि वो साल 2010 में आपराधिक गतिविधियों में शामिल हुआ था. इसके बाद इरफान उर्फ छेनू पहलवान गैंग से जुड़ गया. छेनू पहलवान गैंग पूर्वी दिल्ली में जबरन वसूली, डकैती और चोरी के कई मामलों में शामिल रहा है. इसका सरगना इरफान इस वक्त तिहाड़ जेल में बंद है. पुलिस के अनुसार, इमरान और इरफान साल 2011 में पूर्वी दिल्ली में एक डकैती और 2017 में हत्या के मामलों में शामिल थे.

साल 2017 में दोनों ने दिल्ली के जाफराबाद और भजनपुरा इलाके में एक गैंगवार के दौरान दो हत्याएं की थी. इन हत्याओं के बाद इमरान लगभग साढ़े तीन साल तक न्यायिक हिरासत में रहा. साल 2022 में वो जेल से बाहर आया और अब्दुल रहमान को अपना सहयोगी बना लिया. साल 2021 में पुलिस ने एक ऑपरेशन के दौरान खुलासा किया था कि छेनू गैंग का सरगना गैंगवार से बचने के लिए बुलेट प्रूफ फॉर्च्यूनर से चलता था. इस ऑपरेशन के दौरान उसके सबसे खास गुर्गे मुमताज को गिरफ्तार किया गया था, जो कि हथियार सप्लाई करने के लिए नए लड़के तैयार करता था.

साल 2011 में छेनू गैंग यमुनापार में शुरू हुए गैंगवार के बाद सुर्खियों में आया था. उस वक्त अब्दुल नासिर और छेनू पहलवान गैंग के बीच खूनी अदावत शुरू हुई थी. दोनों एक दूसरे की जान के दुश्मन बन गए थे. इसी दौरान साल 2015 में पेशी के दौरान जज के सामने ही छेनू पर जानलेवा हुआ. इसमें हमले में छेनू पहलवान तो बाल-बाल बच गया, लेकिन एक हेड कांस्टेबल की मौत हो गई. करीब एक दशक तक चले गैंगवार में तीन दर्जन से अधिक लोग मारे गए. साल 2018 में दोनों गैंग के बीच समझौता हो गया. इसके बाद दोनों गैंग के गुर्गे मिलकर आपराधिक वारदातों को अंजाम देने लगे.
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